मनोज चौधरी
प्रेम, अध्यात्म शांति और सुकून की धर्म भूमि मथुरा का बुनियादी ढांचा वर्षा से चरमरा गया। ग्राम पंचायत से ले करके नगर पंचायत, पालिका, महानगर और जिलापंचायत के योजनाकार अविवेकी सिद्ध हुए हैं।

सांसद और विधायक भी उन समस्याओं का निस्तारण नहीं कर पाए, जो वर्षों से जलभराव का कारण बनी हुई हैं। स्थिति यह कि जिले भर में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है।
हालांकि यमुना पिछले 36 घंटे से अधिक समय खतरा के निशान 166 मीटर से ऊपर होकर बह रही है। मथुरा वृंदावन के घाट डूब गए हैं। राधारानी मानसरोवर मंदिर परिसर में चार पांच फीट पानी भर गया है।
शेरगढ़ -नौहझील संपर्क मार्ग पर तो आवागमन रोक दिया गया है। छिनपारई गांव की तीन दिशाओं में पानी भर गया।अड्डा बाघर्रा और आसपास के गांव के किनारों से यमुना टकरा रही हैं। मथुरा और वृंदावन कई कालोनियों में पानी भर गया है। अविकसित कालोनियों में हालत नरकीय हो गए। पोखर तालाब गांव देहात में उफन गए हैं। नालियों में पानी उल्टा लौट कर घरों में घुस रहा है। खेत लबालब है। आम रास्तों पर पानी भर गया है। सफाई व्यवस्था ठीक से न होने से मक्खी, मच्छर और भुनगें पैदा हो गए। बीमारियां पनप रही हैं। स्थिति यह है कि सदर तहसील के गांव उसफर का स्वास्थ्य केंद्र में पानी भर गया और न चिकित्सक पहुंच पा रहे है और नहीं मरीज। गांव अड़ींग का सरकारी इंटर कालेज का भी यही हाल है। यह तो बस एक उदाहरण है। जल निकासी ड्रेनों की सफाई में बरती गई अनियमितता का परिणाम ही जलभराव का कारण बन गई है। छाता से बरसाना, कोसीकलां से नंदगांव और गोवर्धन से बरसाना मार्ग का दौरा कर लिया जाए तो वास्तविकता सामने आ जाएगी। फसल डूबने की स्थित में है। पशुओं के लिए चारे का संकट खड़ा होने लगा है। खुरपका और मुंहपका जैसी बीमारियों की चपेट में आ गए हैं।